प्रिय अनुज की याद में
# रचनाकार अरुण श्रीवास्तव
हे प्रिय बसो सदा मेरे मन मे (अनुज स्मृति)
हे प्रिय बसो सदा मेरे मन में
जितना मांगो मैं सुख दूंगा
तुमको अपने मन में,
दिन हैं बीते याद न बीती
मैं क्या बोलूं ? सब कुछ रीती
तुम बिन सब कुछ सूना जग में,
हे प्रिय बसा सदा मेरे मन में ।
हरदम याद बहुत तुम आते
बस यही इच्छा कब मिल पाते ?
हे प्रिय मेरी पुकार सुनना
जब भी बोलूं मुझसे मिलना,
क्या यह हो पाएगा सच में ?
हे प्रिय बसो सदा मेरे मन में ।
तुम कहाँ गए ?तुम कहा गये?
यह बात पूछता हूँ मैं तुमसे
कहीं गए हो फिर आओगे
ऐसा आभास होता है मन में ।
कब आओगे ? यह तो बोलो
निज मुख से भी कुछ तो बोलो,
क्या फिर तुम्हें देखूंगा जग में?
हे प्रिय बसों सदा मेरे मन में।
रचनाकार अरुण कुमार श्रीवास्तव
हिंदी प्रवक्ता सेंट जोसेफ सीनियर
सेकेंडरी स्कूल सिसवा बाजार
महाराजगंज