##पहचान तो दे दिया, किंतु सम्मान देना बाकी है##



स्वीटी मिश्रा दिल्ली विश्वविद्यालय 
घर से निकाल, विद्यालय का सफर कराया;
 चूल्हे से निकाल, बाहर का संसार दिखाया 
 बेटों के भाँति बेटियों को भी काबिल बनाया; 
 अधिकार तो दे दियाकिंतु अपनाना अभी बाकी है,
 पहचान तो दे दिया, किंतु सम्मान देना बाकी है ||

जहाँ नारियां केवल सुंदरता से परखी जाती थी; 
आज वही अपनी काबिलियत से जानी जाती हैं; 
अपने हुनर से विभिन्न क्षेत्रों में अपना पहचान बनाते हैं, आज वह इस समाज में बेटो से कई बेहतर करके आती हैं; सुधार तो हुआ है किंतु अभी भी कुछ बाकी है 
पहचान तो दे दिया, किंतु सम्मान देना बाकी है||

चार दीवारों से निकाल, बाहर एक पहचान बनाना सिखाया; अपनी हुनर को पहचान, उस पर काम करना सिखाया; 
बेटो के साथ बेटियों को भी आईएस और डॉक्टर बनाया; अधिकार तो दे दिया किंतु सुरक्षा देना बाकी है; 
पहचान तो दे दिया, किंतु सम्मान देना बाकी है ||

बाकियों की चिंता छोड़, खुद के लिए जीना सिखाया; 
सभी को अनसुना कर, स्वयं पर विश्वास करना सिखाया; अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करना सिखाया;
 स्वप्न तो दिखा दिया किंतु पर लगाना बाकी है 
 पहचान तो दे दिया, किंतु सम्मान देना बाकी है।।

Sweeti Mishra

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